भारत के गणतंत्र की यात्रा
58 वर्ष पहले 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहरा कर 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घोषणा की। ब्रिटिश राज से छुटकारा पाने 894 दिन बाद हमारा देश स्वतंत्र राज्य बना। तब से हर वर्ष पूरे राष्ट्र में बड़े उत्साह और गर्व से यह दिन मनाया जाता है।
एक ब्रिटिश उप निवेश से एक सम्प्रभुतापूर्ण, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना रही। यह लगभग 2 दशक पुरानी यात्रा थी जो 1930 में एक सपने के रूप में संकल्पित की गई और 1950 में इसे साकार किया गया। भारतीय गणतंत्र की इस यात्रा पर एक नजर डालने से हमारे आयोजन और भी अधिक सार्थक हो जाते हैं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर सत्र
गणतंत्र राष्ट्र के बीज 31 दिसंबर 1929 की मध्य रात्रि में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर सत्र में बोए गए थे। यह सत्र पंडित जवाहर लाल नेहरु की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। उस बैठक में उपस्थित लोगों ने 26 जनवरी को "स्वतंत्रता दिवस" के रूप में अंकित करने की शपथ ली थी ताकि ब्रिटिश राज से पूर्ण स्वतंत्रता के सपने को साकार किया जा सके। लाहौर सत्र में नागरिक अवज्ञा आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया गया। यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पूरे भारत से अनेक भारतीय राजनैतिक दलों और भारतीय क्रांतिकारियों ने सम्मान और गर्व सहित इस दिन को मनाने के प्रति एकता दर्शाई।
भारतीय संविधान सभा की बैठकें
भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को की गई, जिसका गठन भारतीय नेताओं और ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के बीच हुई बातचीत के परिणाम स्वरूप किया गया था। इस सभा का उद्देश्य भारत को एक संविधान प्रदान करना था जो दीर्घ अवधि प्रयोजन पूरे करेगा और इसलिए प्रस्तावित संविधान के विभिन्न पक्षों पर गहराई से अनुसंधान करने के लिए अनेक समितियों की नियुक्ति की गई। सिफारिशों पर चर्चा, वादविवाद किया गया और भारतीय संविधान पर अंतिम रूप देने से पहले कई बार संशोधित किया गया तथा 3 वर्ष बाद 26 नवंबर 1949 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया।
संविधान प्रभावी हुआ
जबकि भारत 15 अगस्त 1947 को एक स्वतंत्र राष्ट्र बना, इसने स्वतंत्रता की सच्ची भावना का आनन्द 26 जनवरी 1950 को उठाया जब भारतीय संविधान प्रभावी हुआ। इस संविधान से भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनकर स्वयं अपना शासन चलाने का अधिकार मिला। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और इसके बाद राष्ट्रपति का काफिला 5 मील की दूरी पर स्थित इर्विन स्टेडियम पहुंचा जहां उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
तब से ही इस ऐतिहासिक दिवस, 26 जनवरी को पूरे देश में एक त्यौहार की तरह और राष्ट्रीय भावना के साथ मनाया जाता है। इस दिन का अपना अलग महत्व है जब भारतीय संविधान को अपनाया गया था। इस गणतंत्र दिवस पर महान भारतीय संविधान को पढ़कर देखें जो उदार लोकतंत्र का परिचायक है, जो इसके भण्डार में निहित है।
क्या आप जानते हैं?
395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
उद्धृत
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति ने भारतीय गणतंत्र के जन्म के अवसर पर देश के नागरिकों का अपने विशेष संदेश में कहा:
"हमें स्वयं को आज के दिन एक शांतिपूर्ण किंतु एक ऐसे सपने को साकार करने के प्रति पुन: समर्पित करना चाहिए, जिसने हमारे राष्ट्र पिता और स्वतंत्रता संग्राम के अनेक नेताओं और सैनिकों को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्त और प्रसन्नचित्त समाज की स्थापना के सपने को साकार करने की प्रेरणा दी। हमें इसे दिन यह याद रखना चाहिए कि आज का दिन आनन्द मनाने की तुलना में समर्पण का दिन है – श्रमिकों और कामगारों परिश्रमियों और विचारकों को पूरी तरह से स्वतंत्र, प्रसन्न और सांस्कृतिक बनाने के भव्य कार्य के प्रति समर्पण करने का दिन है।"
सी. राजगोपालाचारी, महामहिम, महाराज्यपाल ने 26 जनवरी 1950 को ऑल इंडिया रेडियो के दिल्ली स्टेशन से प्रसारित एक वार्ता में कहा:
"अपने कार्यालय में जाने की संध्या पर गणतंत्र के उदघाटन के साथ मैं भारत के पुरुषों और महिलाओं को अपनी शुभकामनाएं और बधाई देता हूं जो अब से एक गणतंत्र के नागरिक है। मैं समाज के सभी वर्गों से मुझ पर बरसाए गए इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद देता हूं, जिससे मुझे कार्यालय में अपने कर्त्तव्यों और परम्पराओं का निर्वाह करने की क्षमता मिली है, अन्यथा मैं इससे सर्वथा अपरिचित था।"
Haider Ajaz
+919235786438
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